☘ *पत्थर में भगवान है,*
*यह समझाने में धर्म सफल रहा,*
*यह समझाने में धर्म सफल रहा,*
*पर इंसान में इंसान है,*
*यह समझाने में,*
*धर्म आज भी असफल है...!!"*
*शुभ प्रभात*
*यह समझाने में,*
*धर्म आज भी असफल है...!!"*
*शुभ प्रभात*